मुंगेली /पथरिया – मध्यान्ह भोजन योजना भारत सरकार की एक महत्वकांक्षी योजना है जिसके अंतर्गत पूरे देश में प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में छात्रो को दोपहर का भोजन निशुल्क प्रदान किया जाता है |
इसका मुख्य उद्देश्य बच्चों को पोषण स्तर को उन्नत करना साथ ही सरकार इस योजना को बच्चों के शैक्षिक स्तर के साथ-साथ शारीरिक और मानसिक स्तर से सुदृढ़ करना है मगर कुछ विद्यालयों में यह शासन की महत्वकांक्षी योजना फेल होती नजर आ रही है।
दरअसल यह पूरा मामला मुंगेली जिले के विकासखंड पथरिया के अंतर्गत ग्राम पंचायत सिलदहा का है जहां प्राथमिक विद्यालय एवं माध्यमिक विद्यालय मे मध्यान भोजन बच्चों को गुणवत्ता विहीन दिया जा रहा है। जहां चावल दाल तो दिया जा रहा है मगर दाल के नाम पर सिर्फ पानी है,सब्जी के नाम पर सिर्फ लौकी दिख रही है वह भी बहुत कम मात्रा में दी जा रही है। जबकि विद्यालय के सूचना पटल में मीनू के आधार पर पौष्टिक आहार वाले भोजन को देना है सप्ताह में 1 दिन खीर,पापड़,आचार, हरी सब्जियां मगर यहां के विद्यालयों में हरी सब्जियां तो बच्चों को कभी मिलती ही नहीं है संचालन करता समूह को अधिकारियों की तरफ से कई बार हिदायत भी दी गई है कि बच्चों को मीनू के हिसाब से मध्यान भोजन उपलब्ध कराया जाए, वही देखा जाए तो अधिकतर स्कूलों में गैस सिलेंडर शासन के द्वारा दिया तो गया है परंतु गैस सिलेंडर से खाना बनाया ही नहीं जाता और सिलेंडर में गैस भरने के उपरांत 20पैसा अधिक की राशि शासन से लिया जाता है! जमीनी स्तर में देखा जाए तो अधिकतर सभी स्कूलों में लकड़ी से ही खाना बनाया जाता है! उसमें भी शासकीय भवन को देखा जाए तो चारों तरफ काला ही कला एवं जर्जर हो जाता है जबकि पर्यावरण को बचाने के लिए शासन के द्वारा कई विभिन्न योजना चलाई जा रही है! इस तरह से विभागीय अधिकारी के सुस्त रवैया से शासन को ही खामियाजा भुगतना पड़ता है!
*प्राथमिक शाला के शिक्षक समूह के लोगों को अवगत कराया*
प्राथमिक शाला के सहायक शिक्षक बसंत कुमार राजपूत ने बताया की स्कूल में कुल 179 बच्चे हैं जिसमें आज 142 बच्चे उपस्थित हैं प्रति बच्चे कि दर से 20 ग्राम के हिसाब से लगभग 3.50 किलो दाल पकाना था जबकि रसोईया के द्वारा 2 किलो ही दाल बनाया गया है! सब्जी में लौकी बना है उसमें भी किसी भी तरह की क्वालिटी नहीं है! आगे उन्होंने कहा समूह के लोगों को इस बात को कई बार अवगत कराया गया है परंतु कोई सुधार नहीं किया गया! रसोइया गंगोत्री वर्मा ने बताया कि समूह के द्वारा 2 किलो दाल व लौकी की सब्जी मेरे को दिया गया है बनाने के लिए लेकिन दाल 2 किलो कम पड़ जाता है बच्चों के हिसाब से उसने भी क्वालिटी नहीं है दाल को पतला करना पड़ता है। उन्होंने कहां की गैस सिलेंडर तो मिला है परंतु लकड़ी से ही खाना बनाने को बोला जाता है समूह के लोग वही स्कूली बच्चों को पूछा गया तो उन्होंने कहा कि दाल सब्जी दिया जाता है लेकिन आचार पापड़ कभी-कभी महीने में ही मिलता है हरी सब्जी तो मिलता ही नहीं है। देखा जाए तो स्वस्थ रहता समूह के लोग शासन के निर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं!
*विकासखंड शिक्षा अधिकारी*
विकासखंड शिक्षा अधिकारी पी एस बेदी ने बताया कि संचालनकर्ता स्व सहायता समूह के लोगों को मीनू के हिसाब से सभी फिक्स है 100 ग्राम चावल 50 ग्राम दाल 50 ग्राम सब्जी तेल नमक हल्दी मिर्च सभी मेनू में दिया गया है इसके बावजूद यदि समूह के लोग लापरवाही करते हैं तो जांच उपरांत उन पर कार्रवाई की जाएगी